सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।
वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।
प्यार हर किसी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सिखा देता है,
प्यार नही किया तो करके देखो,
ये हर दर्द सहना सिखा देता है।
मोहब्बत कभी झूठी नही होती है,
झूठे तो कसमे, वादे और लोग होते हैं।
बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ,
मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है।
देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ,
हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए।
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर,
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।
तेरी फुर्सतों को खबर कहाँ
मेरी धडकने उदास हैं
जब मिलो किसी से
तो जरा दूर का रिश्ता रखना,
बहुत तङपाते है
अक्सर सीने से लगाने वाले।
महफिल लगी थी
बद-दुआओं की,
हमने भी दिल से कहा,
उसे इश्क़ हो, उसे इश्क़ हो, उसे इश्क़ हो...
ज़लज़ले यूं ही बेसबब नहीं आते,
कोई दीवाना तह-ए-खाक तड़पता होगा।
बेखबर, बेवजह बेरुखी ना किया कर,
कोई टूट जाता है तेरा लहजा बदलने से।
अब न खोलो मेरे घर के उदास दरवाज़े,
हवा का शोर मेरी उलझनें बढ़ा देता है।
वही ख़ामोशी वही तन्हाई,
ये हवा अपने साथ किसकी याद लाई,
हम तो चाँद को देख रहे थे,
फिर न जाने किसके लिए आँख भर आयी…..
वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो।
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो।
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको।
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो।
ज़िन्दगी की हर शाम, हसीन हो जाए…
अगर मेरी मोहब्बत मुझे, नसीब हो जाये…
सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।
खुवाबों के टूटने से दिल के टूटने तक
वो दुःख बताओ जो हम ने सहा है
नसीब अच्छे ना हो तो खूबसूरती का किया फ़ायदा
दिलों के सहेजादे फकीर हुवा करते है
तुमने कहा था आँख भर कर देख लिया करो मुझे,
पर अब आँख भर आती है
और तुम नज़र नहीं आते हो.
इश्क में मेरा दिल टूटा और ख्वाब बिखर गए,
दर्द मिला इतना के हम ज़ख्मों से निखर गए।
मुझे उसके इश्क का घना बादल बना देता,
मुझे उसकी आँखो का काजल बना देता,
तुझसे बिछड़ना अब मुझे मौत की तरफ ले जाता है,
ऐ रब इससे अच्छा तू मुझे पागल बना देता।
कमाल की मोहब्बत थी मुझसे उसको अचानक
ही शुरू हुई और बिना बताये ही ख़त्म हो गई
थी मोहब्बत हमे उनसे इतनी,
ना जाने क्या कमी पड़ गयी,
वो चली गयी ये बोलकर हमसे,
तेरी मोहब्बत में बेईमानी भर गयी
ज़िन्दगी ने दिया सब कुछ पर वफ़ा न दी
जख्म दिए सबने पर किसी ने वफ़ा न दी
बस यही बात आपकी अच्छी लगती थी
वो जो हम्हे प्यार से पागल कहती थी
तुझ से कुछ और नहीं चाहिए आय ज़िन्दगी
बस वो शख्स मिला दे जिसे हम प्यार करते है
उँगलियाँ थक गयी ..
पत्थर तराशते तराशते ,
जब सूरत बनी यार की . .
तो खरीदार आ गए.
जिसकी क़िस्मत में लिखा हो रोना
वो मुस्कुरा भी दे तो आंसू निकल आते हैं
सपना कभी साकार नहीं होता ,
मोहब्बत का कोई आकार नहीं होता ,
सब कुछ हो जाता है दुनिया में ,
मगर दुबारा किसी से सच्चा प्यार नहीं होता।
मंज़िल है, तो रास्ता क्या है ,
हौंसला है तो , फांसला क्या है ,
वो सजा देकर दूर जा बैठे ,
किस्से पूछूँ मेरी खता क्या है ?
ना हम रहे दिल लगाने काबिल,
ना दिल रहा ग़म उठाने काबिल,
लगे उसकी यादों के जो ज़ख्म दिल पर,
ना छोड़ा उसमे मुस्कुराने के काबिल।।
लेके चले थे तूफ़ान, ठोकरों का डर ना था,
संग था कारवां,बिछड़ने का गम ना था,
आरज़ू थी साथ रहे उम्र भर , लेकिन मिलने का वक़्त ना था,
कोशिश तो बहुत की लेकिन नज़रे मिलाने का दम ना था..
पत्थर समझ कर पाव से ठोकर लगा दी,
अफ़सोस तेरी आँख ने परखा नहीं मुझे ,
क्या क्या उम्मीदें बाँध कर आया था सामने ,
उसने तो आँख भर के भी देखा नहीं मुझे। ..
अब तेरे बिना ज़िन्दगी गुज़ारना मुमकिन नहीं है ,
अब और किसीको इस दिल में बसाना आसान नहीं है,
हम तो तेरे पास कब के चले आये होते सब कुछ छोड़ कर,
लेकिन तूने हमे कभी दिल से पुकारा ही नहीं।।
यु ही कभी किसी मोड़ से गुज़र जाएंगे,
लौटेंगे नहीं फिर कहीं निकल जाएंगे..
दिल कहता हैं ले चल कहीं..
किसी रोज़ ले ही जाएंगे.
दिन हुआ है, तो रात भी होगी,
मत हो उदास, उससे कभी बात भी होगी।
वो प्यार है ही इतना प्यारा,
ज़िंदगी रही तो मुलाकात भी होगी।
होले होले कोई याद आया करता है,
कोई मेरी हर साँसों को महकाया करता है,
उस अजनबी का हर पल शुक्रिया अदा करते हैं,
जो इस नाचीज़ को मोहब्बत सिखाया करता है।
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे.
मगर अब आँख भर आती है पर तूम नजर नहीं आते हो.
बिना बताए ना जाने उसने क्यू दूरी कर दी.
बिछड़ कर उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी.
मेरे मुकदर मे गम आये तो क्या हुआ.
खुदा ने उसकी ख़्वाहिश तो जरूर पूरी कर दी.
"प्यार" करो जी भर के करो,
बस "उम्मीद" मत रखो,
तकलीफ "मोहब्बत" नहीं "उम्मीदें" देती हैं..
जो आपको पूरी के सामने " Accept " करने की हिम्मत रखता है,
वही आपसे " True Love " कर सकता हैं..
बहुत रोयी होगी वो, कोरा कागज देख कर….
खत में उसने पूछा था..ज़िंदगी कैसी बीत रही है??
मेरी जगह कोई और हो तो चीख उठे,
मैं अपने आप से इतने सवाल करता हूँ।
हमने तुम्हें उस दिन से और भी ज़्यादा चाहा है,
जबसे मालूम हुआ तुम हमारे होना नही चाहते।
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